सूरत, , सितम्बर 14 : एसजी आईवीएफ एंड वूमेन केयर (SG IVF & Women's Care) ने 1 सितंबर 2024 को हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार बुजुर्गों के आशीर्वाद के साथ सरथाना नेचर पार्क के सामने अपने नए अस्पताल का भव्य उद्घाटन किया। डॉ. चिराग केवड़िया के नए उद्यम को दादा रामजीभाई, दादी श्यामू बा, पिता गोविंदभाई और माता सविताबेन सहित परिवार के सदस्यों द्वारा आशीर्वाद दिया गया। सरथाना नेचर पार्क के सामने 501 से 503 ,मिलेनियम बिजनेस हब-1 में बना नया अस्पताल सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है।
इस अवसर पर डॉ. चिराग केवड़िया ने कहा कि यह अस्पताल आईवीएफ और महिला स्वास्थ्य के क्षेत्र में आधुनिक उपचार प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
डॉ. केवड़िया ने 3000 से अधिक सामान्य (दर्द रहित) प्रसव, 1000 से अधिक सिजेरियन प्रसव और 100 से अधिक उच्च जोखिम वाले प्रसव सफलतापूर्वक किए हैं। उन्होंने 800 से अधिक महिला सिस्ट और ट्यूमर ऑपरेशन सफलतापूर्वक किए हैं। डॉ. केवड़िया ने 1000 से अधिक निःसंतान दम्पतियों को उपचार और सहायता प्रदान करके माता-पिता बनने के उनके सपने को पूरा करने में भी मदद की है।
डॉ. केवड़िया कहते हैं कि कई तरीकों में से सही ट्रीटमेन्ट चुनना महत्वपूर्ण है। प्रत्येक विधि की ताकत और सीमाओं की स्पष्ट समझ आवश्यक है। आईसीएसआई और आईवीएफ दोनों ही प्रभावी तरीके हैं, लेकिन दोनों के उपयोग के परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण अंतर है।
उन्होंने समझाते हुए आगे कहा कि आईवीएफ में, अंडे और शुक्राणु को एक लैब डिश में मिलाया जाता है और प्राकृतिक रूप से निषेचित किया जाता है। जबकि आईसीएसआई एक विशिष्ट शुक्राणु को सीधे अंडे में इंजेक्ट करता है। आईसीएसआई आमतौर पर पुरुष बांझपन के लिए उपयोगी है। जब आईवीएफ किया जाता है तो पुरुष और महिला बांझपन होते हैं।
डॉ. चिराग ने प्रतिष्ठित बी.जे. मेडिकल कॉलेज (बीजेएमसी) अहमदाबाद से एमबीबीएस और डीजीओ किया है। उन्होंने अहमदाबाद सिविल अस्पताल में आईवीएफ में 3 साल और नाडियाड के त्रिभुवनदास फाउंडेशन में 2 साल की फेलोशिप पूरी की है।
वे कहते हैं कि SG IVF & Women's Care का मिशन प्रत्येक रोगी की खास जरूरतों के अनुरूप व्यक्तिगत देखभाल प्रदान करना है। साथ ही एक ऐसी प्रणाली विकसित करना है जहां हर कोई आत्मविश्वास और आसानी से पिता या मातृत्व के अपने सपने को पूरा कर सके।
उनके समूह का विजन लोगों को प्रजनन क्षमता के बारे में अधिक जागरूक बनाकर समाज को सशक्त बनाना है, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां उपचार के बारे में जागरूकता सीमित है।
उन्होंने कहा कि उनका मिशन आईवीएफ और आईसीएसआई तकनीक के बारे में मिथकों और गलत धारणाओं को दूर करने के अलावा सभी को उनकी पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना आधुनिक ट्रीटमेन्ट प्रदान करना है।
डॉ. चिराग केवड़िया ने बताया कि, "भारत में हर 8 मिनट में एक महिला सर्वाइकल कैंसर से मरती है। समय रहते निदान, टीकाकरण और जागरूकता से जीवन बचाया जा सकता है। आइए हम सब मिलकर अपनी माताओं, बेटियों और बहनों को इस रोके जा सकने वाली त्रासदी से बचाएं।"
डॉ. चिराग का लक्ष्य प्रत्येक रोगी की जरूरतों को सर्वोत्तम तरीके से पूरा करना है। इसीलिए एसजी आईवीएफ की टैगलाइन है "“Delivering Happiness."