असिंचित क्षेत्र के किसानों की नही सुन रहा कोई दास्ताँ, अंत मे दी आत्मदाह करने की चेतावनी


आरटीआई में बड़ा खुलासा यह क्षेत्र सिंचित लेकिन रखा असिंचित।

चितलवाना। जिन किसानों के खेतों के बीचों बीच से नर्मदा मुख्य नहर निकाली गयी लेकिन वे किसान नहर का एक बूंद भी पानी उपयोग में नही ले पाएंगे।क्योंकि उन किसानों के खेत इस क्षेत्र से असिंचित क्षेत्र रखे गए है।आखिर इस क्षेत्र को असिंचित क्षेत्र में क्यों रखा गया इसका कारण आज तक कोई बता नही पाया।गत साल तक किसान पाइप डालकर खेतों की सिंचाई कर रहे थे लेकिन इस साल किसानों को विभाग ने साफ मना कर दिया है कि अगर आपने नहर में पाइप डाला तो आपके पाइप काटे जाएंगे और आप पर कार्यवाही होगी।किसानों ने सैकड़ो बीघा जमीन तैयार कर रखी है लेकिन अब किसान ज्यों ही नहर पर पाइप डालते है तो विभाग के अधिकारी,ठेकेदार आते है और पाइप काटकर ले जाते है।आखिरकार किसानो ने परेशान होकर एकत्रित हुए और निर्णय लिया कि या तो विभाग हमें पानी दे अगर विभाग ने हमें पानी नही दिया तो हम आत्मदाह कर लेंगे क्योंकि हमारी इस जिंदगी में कोई सार नही है क्योंकि हमारे खेत से नहर निकलती है और हमें ही पानी से वंचित रखा जा रहा है।

चितलवाना उपखण्ड के वीरावा,मेघावा,कुंडकी,मणोहर सहित कई गांव नर्मदा नहर के असींचित क्षेत्र में है. जिन किसानों की बेशकीमती जमीन औने-पौने दाम पर लेकर इनके खेतों के बीच मे से नहर निकालकर खेतों को अधिगृहित कर लिया और खेत के बीच में से नहर निकलने से खेत को भी दो टुकड़ो में बांट दिया।उस समय किसानों ने कोई विरोध नहीं किया क्योंकि किसानों ने सोचा कि नर्मदा का मीठा पानी मिलेगा और उस मीठे पानी मिलने से अच्छी फसल होगी उससे इस नुकसान की भरपाई भी हो जाएगी।

लेकिन ग्रामीणों की मानें तो सरकार ने इन किसानों के साथ ऐसा होने नहीं दिया।क्योंकि इन किसानों की भूमि असिंचित क्षेत्र में है जिसके कारण अभी इस क्षेत्र के किसान नहर में से एक लीटर पानी भी नहीं ले पाएंगे। किसान अपने खेतों को सिंचित क्षेत्र में शामिल करने के लिए पिछले साढ़े तीन साल से धरने पर है। किसानों का कहना है कि हम पिछले साढ़े तीन साल से जयपुर के सिंचाई मंत्री व गृह मंत्री से बात भी की लेकिन किसी भी प्रकार से उनकी समस्या का समाधान नही किया।

एक तरफ नर्मदा के अधिकारियों व नेताओ का कहना है कि पानी की कमी की वजह से कमांड क्षेत्र में नहीं जोड़ा जा रहा है।वही सांचोर क्षेत्र में कई जगह नर्मदा नहर से ओवरफ्लो पानी छोड़ा जा रहा है जो किसानों के लिए समस्या बनी हुई है क्षेत्र में लुणी नदी क्षेत्र, झांकरड़ा व सेसावा के पास ओवरफ्लो पानी छोड़ा गया है।किसानों का कहना है कि जितना पानी ओवरफ्लो में छोड़ा जा रहा है उस पानी से अंकमाण्ड क्षेत्र को कमांड में जोड़कर पानी दिया जा सकता है।

एडवोकेट मनीराम बिश्नोई के द्वारा नर्मदा विभाग के सुर्वे की जानकारी नर्मदा विभाग से मांगी गई।नर्मदा विभाग की ओर से दी गई जानकारी में इजराईल की ताहल कंसल्टिंग इंजीनिरिंग लिमिटेड की ओर से किये गए सुर्वे में यह क्षेत्र सिंचित दर्शाया गया है।सूचना के अधिकार में दी जानकारी में केरिया वितरिका की लंबाई 12 किमी.दर्शाई गयी है जबकि मौके पर केरिया वितरिका की लंबाई 10.300 किमी ही है।केरिया वितरिका से यह क्षेत्र सिंचित बताया गया है लेकिन अधिकारियों की लापरवाही या फिर ठेकेदारों की लापरवाही से यह क्षेत्र जानबूझकर असिंचित रखा गया है।

हमारा क्षेत्र जानबूझकर असिंचित रखा गया है कांग्रेस की सरकार दावा कर रही है कि हम किसानों की सरकार है और किसानों के नाम पर सत्ता में आई है।अगर वास्तव में कांग्रेस सरकार किसानों का भला करती है तो हमारा क्षेत्र सिंचित करवाकर किसानों का भला करें।
- हेमाराम गोदारा किसान मेघावा

मेने नर्मदा विभाग की ओर आरटीआई के तहत जानकारी मांगी।विभाग की ओर से दी गयी जानकारी में यह क्षेत्र सिंचित बताया गया है केरिया वितरिका की लंबाई 12 किमी बताई गई है वहीं मौके पर 10.300 किमी है इससे लगता है कि विभाग के अधिकारियों व ठेकेदारों की लापरवाही से यह क्षेत्र असिंचित रखा गया है .
- मनीराम बिश्नोई एडवोकेट


हमारे खेत के बीचों बीच से नर्मदा मुख्य नहर गुजर रही है फिर भी हमारा क्षेत्र जानबूझकर असिंचित क्षेत्र में रखा गया है।सरकार से कई बार धरना,ज्ञापन देकर सिंचित में जुड़वाने की मांग रखी लेकिन हमारी मांग की तरफ कोई ध्यान नही दे रहा है।
-रामूराम पुनिया किसान मेघावा





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