जर्मनी, भारत और ग्वाटेमाला ने जलवायु परिवर्तन के तौर–तरीकों पर चर्चा की


 

वाटरशेड ऑर्गनाइजेशन ट्रस्ट (डब्ल्यूओटीआर) ने अपने सहयोगियों – टीएमजी रिसर्च, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ मेसो अमेरिका और एडीआईएमआई ग्वाटेमाला के साथ पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित अनुकूलन के लिए रोडमैप पर चर्चा करने के लिए एक वेबिनार का आयोजन किया।

 
इस वेबिनार का विषय था – रोडमैप्स फार स्केलिंग अप इकोसिस्टम बेस्ड एडाप्टेशन : इनसाइट्स फ्राम ग्वाटेमाला एंड इंडिया। इस वेबिनार में हिस्सा लेने के लिए दुनिया भर से 400 से अधिक पंजीकरण हुए। इस कार्यक्रम में शोधकर्ताओं, स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों‚ निजी क्षेत्र के लोगों, सरकारी अधिकारियों, किसान संगठनों और मीडिया कर्मियों ने हिस्सा लिया।
 
पिछले 3 वर्षों से टीएमजी रिसर्च भारत में डब्ल्यूओटीआर, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ मेसोअमेरिका और ग्वाटेमाला में एडीआईएमआई के साथ मिलकर ईबीए को बढ़ाने के उपाय तलाश रहा है। इस वेबिनार में ईबीए को बढ़ाने के रोडमैप को तैयार करने पर चर्चा की गई।
 
 इस वेबिनार में विशिष्टताओं, सफलता कारकों और चुनौतियों को रेखांकित किया गया। इस वेबिनार का उद्देश्य ग्लासगो में यूएनएफसीसीसी सीओपी26 जैसे इस वर्ष के शिखर सम्मेलन के संबंध में विचार विमर्श करना है ताकि कई लाभों के साथ पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित अनुकूलन (ईबीए) को प्रभावी, स्केलेबल और एकीकृत अनुकूलन समाधान के रूप में बढ़ावा दिया जा सके।
 
आज जब विश्व कोविड -19 महामारी और उसके कारण उत्पन्न संकटों से जूझ रहा है। साथ ही साथ जलवायु परिवर्तन, प्रजातियों के विलुप्त होने और वैश्विक भूखमरी जैसे अन्य संकट भी जारी हैं, पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित अनुकूलन (ईबीए) और अन्य प्रणालीगत तकनीकें आज दुनिया के सामने मौजूद कई जटिल समस्याओं से निपटने में महत्वपूर्ण होंगी। पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित अनुकूलन (ईबीए) प्रकृति के साथ काम करके जलवायु परिवर्तन के संकट को झेलने में मानव समुदाओं को सक्षम बनाता है। यह बेहतर खाद्य सुरक्षा जैसे अन्य लाभ भी प्राप्त कर सकता है।

उद्घाटन सत्र में बोलते हुए, भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के एनआरएए के सीईओ डॉ अशोक दलवई ने कहा, "भारत पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित अनुकूलन (ईबीए) के महत्व को समझता है क्योंकि यह विशेष रूप से भारत की जलवायु संकटों के संदर्भ में एक व्यापक समाधान प्रदान करता है।"


डब्ल्यूओटीआर के प्रमुख शोधकर्ता अर्जुन श्रीनिधि ने कहा "रोडमैप विकसित करने के लिए ठोस कार्रवाई करनी होगी जैसा कि डब्ल्यूओटीआर और कई अन्य हितधारकों ने तय किया है। यह है पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित अनुकूलन (ईबीए) पर एक नया नेटवर्क या सहयोगी शुरू करना। 

इस नेटवर्क को सुदृढ आय के लिए पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित अनुकूलन (इको– बारी) कहा जाएगा। इसमें सिविल सोसायटी संगठनों, अनुसंधान संस्थानों, विषयगत विशेषज्ञों, निजी क्षेत्र और सरकारी अधिकारियों का सहयोग होगा जो देश में पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित अनुकूलन (ईबीए) को बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं। हमें उम्मीद है कि नवंबर के आरंभ में इसकी शुरुआत के लिए कार्यक्रम आयोजित होगा।”

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