जयपुर. बॉलीवुड में अपने गीतों से अमर हो चुके मोहम्मद
रफ़ी, यसुदास, एस पी बालासुब्रमण्यम सहित स्वर सम्रागी लता मंगेश्कर, आशा
भोंसले को शहर सिंगर्स ने अनोखे अन्दाज़ में ट्रिब्यूट दिया। इनके गीतों के
जरिए सिंगर्स ने माहौल में रूहानियत भर दी। मौक़ा था, महाराणा प्रताप सभागार
में आयोजित म्यूजिक कॉन्सर्ट "एक शाम सुर से सुक़ून के नाम" का।
सुर से
सुकून फाउंडेशन की ओर से आयोजित इस कॉन्सर्ट में प्रदेश के नामचीन सिंगर्स
ने प्रस्तुति देकर जमकर सराहना पाई। आयोजक धर्मेन्द्र छाबड़ा ने बताया कि एक
शाम सुर से सुक़ून के नाम का छठा सीजन आयोजित किया गया। इस कॉन्सर्ट का
उदृदेश्य गीत—संगीत के जरिए लोगों में एक विश्वास और सुक़ून के साथ साथ
तनावमुक्त होने का अहसास करवाना है। कोरोना काल में लोगों के बीच भय
व्याप्त हो गया है, ऐसे में कौशिश रहेगी कि दिलकश व यादगार गीत-संगीत के
जरिए लोगों के दर्द को कम किया जा सके और उनके जीवन को उत्साही बना सकें।
इन सिंगर्स ने बनाया दीवाना
कार्यक्रम
में शहर के कई जाने—माने सिंगर्स ने प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में ईएचसीसी
हॉस्पिटल की को—चेयरपर्सन मंजू शर्मा ने भी अपने गायन से सभी से जमकर
तालियां बटोरी। कार्यक्रम में जे .के पँवार , के .पी. सक्सेना , धर्मेन्द्र
छाबड़ा , डॉ. जितेन्द्र मक्कड़ , नलिन छाबड़ा , रोली अग्रवाल , गीतिका
चतुर्वेदी , डॉ. वर्षा तनु , नूपुर शर्मा , नीलम शर्मा ने विभिन्न गीतों को
पेश किया। इन सिंगर्स में प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर डॉक्टर्स,
प्रोफेशनल्स , एंटरप्रेन्योर और पूर्व डिस्ट्रिक जज शामिल थे।
इन प्रमुख गीतों की हुई प्रस्तुति
कार्यक्रम
की शुरुआत धर्मेन्द्र छाबडा और नीलम शर्मा ने 'कितना प्यारा वादा' से की।
इसके बाद गीतिका चतुर्वेदी ने 'आजा रे मैं तो कबसे खड़ी', केपी सक्सेना ने
'आज की रात मेेरे दिल की', नीलम शर्मा ने 'अँखियों के झरोखों से', मंजू
शर्मा ने 'ओ मेरे शाहे खुबा', जे के पंवार ने 'सुरमई अँखियों में', रोली
अग्रवाल ने 'गोरे गोरे ओ बांके छोरे', डॉ. जितेन्द्र मक्कड ने 'दूर रहकर न
करो बात', नलिन छाबड़ा ने 'सच मेरे यार है', डॉ. वर्षा तनु ने 'सौलह बरस की
बाली उमर' को सुनाकर सभी श्रोताओं से दाद पाई। कार्यक्रम में नुपूर शर्मा
ने 'जाता कहां है दीवाने', धर्मेन्द्र छाबड़ा ने 'पहला पहला प्यार है', के
पी सक्सेना ने 'इतना तो याद है मुझे', रोली अग्रवाल ने 'मेरा नाम चिन चिन
चु' सहित कई गीतों को पेश कर जमकर सराहना पाई।
कार्यक्रम
में धर्मेन्द्र छाबड़ा और गीतिका चतुर्वेदी ने 'ना जाने कहाँ तुम थे', जे
के पँवार ने 'माना हो तुम, बेहद हसीं', डॉ. जितेन्द्र मक्कड और गीतिका
चतुर्वेदी ने 'तेरे लिए हम है जिए', नलिन छाबडा ने 'चेहरा है या चांद खिला
है' जैसे गीतों के जरिए शाम को यादगार बनाया। कार्यक्रम में सोलो और डयूट
सिंगिंग का अन्दाज़ देखते व सुनते ही बनता था ।
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