भारत माला प्रोजेक्ट के तहत पंजाब के अमृतसर से लगाकर राजस्थान के हनुमानगढ़ बीकानेर नागौर जोधपुर बाड़मेर जालौर जिलों से होते हुए गुजरात राज्य के जामनगर तक नए बनने वाले एक्सप्रेस हाईवे 757 k के निर्माण हेतु आवाप्त की जाने वाली भूमि के मुआवजा के संबंध में जो कि डीएलसी रेट का 3 गुना अधिकतम दिया जा रहा है जबकि भूमि अवाप्ति अधिनियम 2013 के तहत यह नियम है कि कोई भी हाईवे 2 राज्यों या उससे अधिक राज्यों को जोड़ता है तो उसमें मुआवजे की राशि केंद्रीय सरकार द्वारा तय की जाती है जबकि इस हाइवे में राजस्थान में अधिग्रहित की जा रही जमीन की राशि राजस्थान सरकार द्वारा तय की गई है जो यहां की कम डीएलसी रेट के कारण किसानों को 40 45 हजार से लगाकर 60 ₹65000 के बीच में प्रति बीघा के हिसाब से दी जा रही है जिसके विरोध स्वरूप दिनांक 29 नवंबर 2019 से बालोतरा उपखंड मुख्यालय पर डाक बंगले के आगे इस अवाप्ति से प्रभावित किसान ब्लॉक सिवाना पचपदरा सिणधरी के किसानों द्वारा अनिश्चितकालीन धरना दिया जा रहा है जिसके दौरान प्रतिदिन एसडीएम के मार्फत ज्ञापन माननीय प्रधानमंत्री जी मुख्यमंत्री जी सड़क परिवहन केंद्रीय मंत्री को दिए जा रहे हैं लेकिन किसी प्रकार की कोई सुनवाई किसानों की नहीं हो रही है।
भारत माला प्रोजेक्ट के तहत पंजाब के अमृतसर से लगाकर राजस्थान के हनुमानगढ़ बीकानेर नागौर जोधपुर बाड़मेर जालौर जिलों से होते हुए गुजरात राज्य के जामनगर तक नए बनने वाले एक्सप्रेस हाईवे 757 k के निर्माण हेतु आवाप्त की जाने वाली भूमि के मुआवजा के संबंध में जो कि डीएलसी रेट का 3 गुना अधिकतम दिया जा रहा है जबकि भूमि अवाप्ति अधिनियम 2013 के तहत यह नियम है कि कोई भी हाईवे 2 राज्यों या उससे अधिक राज्यों को जोड़ता है तो उसमें मुआवजे की राशि केंद्रीय सरकार द्वारा तय की जाती है जबकि इस हाइवे में राजस्थान में अधिग्रहित की जा रही जमीन की राशि राजस्थान सरकार द्वारा तय की गई है जो यहां की कम डीएलसी रेट के कारण किसानों को 40 45 हजार से लगाकर 60 ₹65000 के बीच में प्रति बीघा के हिसाब से दी जा रही है जिसके विरोध स्वरूप दिनांक 29 नवंबर 2019 से बालोतरा उपखंड मुख्यालय पर डाक बंगले के आगे इस अवाप्ति से प्रभावित किसान ब्लॉक सिवाना पचपदरा सिणधरी के किसानों द्वारा अनिश्चितकालीन धरना दिया जा रहा है जिसके दौरान प्रतिदिन एसडीएम के मार्फत ज्ञापन माननीय प्रधानमंत्री जी मुख्यमंत्री जी सड़क परिवहन केंद्रीय मंत्री को दिए जा रहे हैं लेकिन किसी प्रकार की कोई सुनवाई किसानों की नहीं हो रही है।